मन कल की चिंता करता है।
मन कल की चिंता करता है।
अच्छा गुजरा आज, भले ही
मन कल की चिंता करता है।
इस चिंता में आज बिगाड़ा
कल का भय पर मन करता है।
काल्पनिक भय , मन की शंकाऐं
यूं ही गला सुखा देती हैं।
मन की दुर्बलताऐं ही हम को
बेबस श्रीहीन बना देती हैं।
पूर्ण शक्ति भर श्रम करने पर भी
बेवजह डांट जब खाते हैं।
सच कहते हैं आत्मगौरव खो कर
हम दीन हीन हो जाते हैं।
गर विश्वास रखें खुद पर
हम निर्भय होकर ही काम करें
निश्चित ही सब अच्छा होगा
हम सफलता अपने नाम करें।