मन की आवाज़
मन की आवाज़
आप जितना समझते हो
उतना बुरा भी नहीं हूं मैं
बस कुछ देर के लिए
उलझा हुआ हूं अपनी जिंदगी में
पर इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।
हां माना ग़लतियां बहुत करता हूं
और समझ भी नहीं पाता के गलती हुई,पर
वो मेरी नजरअंदाजी नहीं
थोड़ी वक़्त की उलझन है
क्यूंकि इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।
हां थोड़ा उलझ सा गया हूं,थोड़ा टूट सा गया हूं,
वो क्या है लड़ाई अकेले लड़ता आया हूं ना
थोड़ा बिखर सा गया हूं मैं
अब आप मिल गए तो थोड़ा आपसे लड़ लेता हूं,
पर इतना भी बुरा नहीं हूं मैं।