मन के गलियारों में
मन के गलियारों में
मन के गलियारों में कुछ ढूंढता रहता
किसी की कमी को महसूस करता ये
दिल, हमेशा तन्हा तन्हा सा रहता है
वो करीब है मेरे, रहनुमा भी है मेरा
वो दिलोजान से चाहता भी है मुझको
फिर भी उस पर एतबार नहीं है मुझको
दगा ना दे दे मुझे ये बेचैनी क्यों है
सवालों के चक्रव्यूह में फंसता हुआ मन
सुकून के पलों में खुद को तलाशता है (और)
कोशिश करता है तुम में खुद को खोजने की
इतने कशमकश से भरे जीवन को अब
हे पालनहार तुम ही संभालो और सहेजो।।