मन के घट अमृत भरा !
मन के घट अमृत भरा !
बुलंदियां ख़ुद ही तलाश लेंगी तुम्हें,
बस मौका न छोड़ना मुश्किलों में मुस्कुराने का।
मन का दृढ़ विश्वास हमें,
देता है साहस गिर कर फिर उठ जाने का।
आते नित अवरोध बड़े,
चुभते कंकण और शूल गड़े।
बाँधे कदमों को घड़ी-घड़ी,
इक एड़ लगाकर जीवन में कदमों को न रुकने देना।
जीवन में सफलता पाने का होता एक ही मंत्र,
सतत परिश्रम और आत्मसंयम ही हैं उत्तम संयंत्र।
कर्म पर हो विश्वास और रखते ईश्वर पर आस्था,
कितना भी मुश्किल वक्त हो निकलता जरूर है रास्ता।
घूमा करते सारा जहान अच्छाईयों की तलाश में,
अंतर्मन में कभी न झांका न करते कोई योग।
ध्यान लगा भीतर अगर, दूर रहेंगे रोग,
मन के घट अमृत भरा, सुंदर-सुखद-सुयोग।