बदलता मौसम
बदलता मौसम
मौसम मस्ताना है
बरसात का समां हैं
धरती भीग गई है
बादल धुंआ धुंआ है
सौंधी महक मिट्टी की
मन को भा रही है
पेड़ों की डालियां
खुशी से लहरा रहीं हैं
फिर सूरज ने आकर
कहर बरपा दिया है
गरमी से धरती को
कितना झुलसा दिया है
पल पल बदलते मौसम
ने हमें आगाह किया है
मानव रोको इस बढ़ते प्रदूषण को
तुमने ही इस मौसम में इतना बदलाव किया है