गजल(अफसोस)
गजल(अफसोस)
जब अपने ही अपनों को सताने लगे,
जुल्म दर जुल्म ढाने लगे।
एक साथ गुजारे थे जो दिन
याद आ कर सुहाने लगे।
प्यार दिया था उम्र भर का जिन्हें,
ठेस दिल को वही पहुंचाने लगे।
हाथ जोड़ कर इज्जत करते थे कभी,
सर पर चढ़ के चिल्लाने लगे।
जब देखा मतलब भरा व्यवहार उनका,
मन में कई सवाल टकराने लगे।
अफसोस आता है देखकरउनकी छवि,
लेकिन वो हमें देख कर मुस्कराने लगे।
हाल ऐ दिल सुदर्शन सुनाये किसे,
अपने किए पर ही आंसू जब आने लगे।
किस्सा सुना जब हर किसी का, हाल ऐ दिल यही है
कहकर दास्तां अपनी, अपनी सुनाने लगे।