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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

मन के भाव

मन के भाव

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मेरी कविताओं की दुनिया भी बड़ी अजीबो-गरीब है,

सोचती हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ।

पर मन के भाव हैं कि टिकते ही नहीं,

कोशिशें बहुत करती हूँ पर ये पकड़ में ही नहीं आते।।


पल-पल बदलते, थोड़े मचलते, थोड़े लरजते,

न जाने कौन सी दुनिया में ले जाते हैं।

जतन बहुत किये इसे टटोलने की,

पर मन है कि अपनी ही मरजी से चलता है।।


हजार कोशिशें की इसे जानने की,

पर हर बार कुछ अलग ही मिला।

तिनका-तिनका सँजोए जीवन के पल,

कुछ खट्टी-मीठी यादें तो कभी

सवालों का अंबार मिला।।


माना कि ये सब रेत के किले हैं,

पर हार तो मैंने भी नहीं मानी।

कोशिशें पुरजोर करती हूँ,

बनाए रखने की रवानी।।


तभी तो आज फिर रंग दिया इन पन्नों को,

अपनी बेबाक इठलाती, बेरोक-टोक मन के भावों से।

आइये मेरे इन शब्दों के साथ चलें जीवन की राह और,

उकेरे जिन्दगी के अनगिनत अनकहे उद्गार।।



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