मन का सुन्दर भाव है हिन्दी
मन का सुन्दर भाव है हिन्दी
मुहावरों और कहावतों से सजी,
स्वर रूपी लाज का ओढ़े घूंघट।
संधि और सामासिक नगीनों से अटी,
व्यजनों की आभा से दमकता कपाट।।
अंध:कार से प्रकाश....!
सुखद जीव की आस...!
करती प्रशस्त सन्मार्ग....!
सहयोग और मेल की लिये मिठास...!
कहने को केवल एक भाषा,
पर यह सत्य है किंचित अपूर्ण।
जीवन का समेटे मधुर कल-कल निनाद,
अपने आप में ही हिन्दी है संपूर्ण।।
आपसी प्रेम और सौहार्द्र का,
एक अटूट बंधन है हिन्दी।
दिलों मे उमड़ते-घुमड़ते बादलों का,
अनूठा समंदर है हिन्दी।।
मन का सुन्दर भाव है हिन्दी...!
मिट्टी की सोंधी खुशबू है हिन्दी...!
भावनाओं की छाप है हिन्दी.....!
संस्कृति की मिठास है हिन्दी....!
सुन्दर, सरल और सरस,
भरा प्रेम, स्नेह और विश्वास।
विविधताओं का अतीव उल्लास,
आओ मिलकर करें प्रयास....!
जितना इसके करीब जाओगे,
इसे अपने होंठो पर सजाओगे।
उतने ही विविध रूप देख पाओगे,
और इस भाषा का महत्व जान पाओगे।।
