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Kanchan Prabha

Inspirational

4.7  

Kanchan Prabha

Inspirational

मन का मंदिर

मन का मंदिर

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मन की आँखें खोल रे बन्दे

देख ले अपने प्रभू को पास


कितना नासमझ आज भया तू

जिस दिन बन्दे समझ गया तू

फिर भी ना टूटे तेरी आस

देख ले अपने प्रभू को पास


पा कर ईश्वर हाथ जुड़ जाये

मस्जिद में भी खुदा मिल जाये

वाह फिर होता दिन वो ख़ास

देख ले अपने प्रभू को पास


मैं भी मन के मंदिर को तोड़

अपनी दोनों कर को जोड़

आ जाती फिर वहीं पर आज

देख ले अपने प्रभू को पास


तीन लोक तेरे हृदय बसा रे

क्यों तू इधर उधर भटका रे

मन की भक्ति से बुझा ले प्यास

देख ले अपने प्रभू को पास


हे मानव तू जो बात ये माने

सच्ची सेवा भाव पहचाने 

होता हृदय में त्रिलोक का वास

देख ले अपने प्रभू को पास


आज मंदिर मस्जिद खोले गये

अन्धविश्वास मौत से तोले गये

विनती करूँ आये सब को ये रास

देख ले अपने प्रभू को पास



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