मन जिसके साहस होता है
मन जिसके साहस होता है
न दुर्गम कोई पथ होता है
मन जिसके साहस होता है
सघन अभेद्य कायरता से
अपूर्ण हृदय जो धीरजता से
पत्थर भी पानी बनता है।
मन जिसके साहस होता है
न कभी परिणाम की इच्छा
निर्दिष्ट लक्ष्य जिसकी पृच्छा।।
वही बटोही अथक चलता है
मन जिसके साहस होता है।
पुष्प अगर हर राह में होते
प्रत्युत्तर क्या संदर्भित होते
अमिट छाप वही गढ़ता है
मन जिसके साहस होता है।।
न दुर्गम कोई पथ होता है
मन जिसके साहस होता है।।