ममता की छांव
ममता की छांव
सबसे निर्मल निश्छल होती, ममता की छांव जो मिलती
जन्म से लेकर मृत्यु तक, हमेशा सुकून ये देती
जन्म होता जब धरा पर, गोद माँ की तब होती
बढ़ते धीरे धीरे हम फिर, ममता की छांव जो मिलती
संस्कार मिलते सब माँ से, राह करते प्रशस्त हमारी
शब्द जो होता हमारा पहला, माँ ही बालक तब कहता
ममता की छांव तले ही, पहला कदम वो अपना रखता
हर बार जब वो थक जाता, ममता की छांव तले वो आता
शिक्षा भी तो पाता वो फिर, ममता की छांव तले अपनी
पहली शिक्षक तो माँ होती, संस्कारों से पूरित करती
माँ का आंचल सुकूँ देता, हर पल जब भी बालक थकता
ममता की छांव तले ही वो, अपना सुंदर स्वरूप है रचता
गोद में माँ के सर रखकर, सुकून की नींद वो सो जाता
याद करता बचपन के दिन सारे, लोरी जब माँ थी सुनाती
गोद में अपने लेटाकर, थपकियाँ देकर सुलाती
ममता की छांव वो निर्मल, मन को शांत वो कर जाती
ममता की छांव पर 'दर्श', लिखने को शब्द कम है यहाँ
स्वर्ग भी अच्छा लगता नहीं, ममता की छांव जब मिलती