मिथ्यावादी सरताज़ है
मिथ्यावादी सरताज़ है
जिन्हें थिरकना है जिनको दूसरों के इशारे पर,
जो सत्य और सनातन को मिटा चुके आज हैं !
सच की सही समर्थ बानगी दिखा सके जो,
ऐसा सदगुणी व सदाचारी किसका मिज़ाज़ है !
जग के नियम ना चले सुचारु ऐसा समाचार है,
मिथ्यावादी को देखो तो बना हुआ सरताज़ है !
हाहाकार सा मचा हृदय में भय व्याप्त है मन में,
सत्य का पथिक आज बना हुआ मोहताज है !
सर्वत्र दुराचार प्रश्रय बना हुआ पुखराज है,
घर का भेद उजागर करे विभिषण हमराज है !