मिरि आशिकी के चलते
मिरि आशिकी के चलते
जंग जिंदगी की जीतना कहाँ आसान है
हर कदम खड़ा मुश्किलों का तूफ़ान है
तुमसे लडूंगा दोस्तों तो क्या मिलेगा मुझे
खुद से लडूंगा तो शायद कुछ सीख पाऊंगा
आशिकी रूह से करने की तामील हुई थी
राह ऐसी के जिसकी रहबरी तंज़ीम हुई थी
मुगालतों से निकल पाऊंगा तो कुछ सीख जाऊंगा
तुमसे लडूंगा दोस्तों तो अपना असल भी गँवाऊँगा
देह को जब जब भरपेट मिल जाता है भोजन
करने लगती हैं तब भौतिक इच्छाएं उसमे नर्तन
ये बात किस किस को कहूंगा किस को सुनाऊंगा
बेहतर है जज्ब कर लूँ तभी तो आगे बढ़ पाऊंगा
रास्ते यूँ तो सभी किसी न किसी मंजिल की तरफ जाते हैं
खोजना है अब वो रास्ता जो मिरे मालिक तक ले जाएगा
जंग जिंदगी की जीतना कहाँ आसान है
हर कदम खड़ा मुश्किलों का तूफ़ान है
तुमसे लडूंगा दोस्तों तो क्या मिलेगा मुझे
खुद से लडूंगा तो शायद कुछ सीख पाऊंगा।