मिलन
मिलन
आज मिलन की बेला आई।
पग पग पर है खुशियाँ छाई।।
मोर पपीहा गाए फागा।
ले संदेशा आया कागा।।
मुदित हुआ है अब संसारा।
मोरा पियवा आया द्वारा।।
विरहन का मन नाचे गावे।
उर अंतर संगीत सुनावे।।
विरहन का संताप मिटा है।
प्रेम का फिर से ताज मिला है।।
तीन लोक में बजे बधाई।
आज मिलन कि बेला आई।।
विरहन बोली सुन हो पियवा।
क्यों तड़पाया मोरा जियवा।।
लेट सेज काँटो की पियवा।
तुझ बिन काटी मैंने रतिया।।
छलक गई पियवा की अखियाँ।
सुनकर उसकी विरही बतियाँ।।
बरसे मेघ गगन को घेरे।
बहे दुःख अब विरहन तेरे।।
आज प्रकृति भी बनकर साथी।
विरहन के संग गाई नाची।।