मिलकर बिछड़ना
मिलकर बिछड़ना
ब्याह हुआ है हाल ही में,
और हुआ है प्रीत मिलन।
प्यारी प्यारी उनकी बातें,
कैसे भूल जाये हम।
जिन पर हम फिदा हुए,
और दिया अपना तन मन।
मानो जैसे मिली है जन्नत,
मुझको उनसे अभी अभी।
दिल दिमाग पर वो छाये हैं,
मानो जैसे परछाई मेरी।
कैसे छोड़कर जाऊं उनको,
जो है आत्मा मेरी।
पर करे क्या अब हम,
आ गया जो सावन।
छोड़ पियर को जाना पड़ेगा,
माँ बाप के आंगन।
जिनके लाड़ प्यार में,
डूबी रहती थी मैं।
उनसे भी प्यारे हमें,
अब लगते है प्रीतम।
छोड़ कर जाने का,
बिल्कुल भी अब मन नहीं।
रीति रिवाज की खातिर,
जाना पड़ेगा छोड़कर।
दिन-रात सताएगी यादें उनकी
तो यादों में ही खो जाऊंगी।
बिन उनके क्या मैं,
अब वहां रह पाऊंगी।
कुछ भी करके मैं उन्हें,
मायके में बुलवाऊँगी
और दिलों को मिलाऊँगी।