महिला हिंसाचार
महिला हिंसाचार
लातों से बात करते हो जबान नहीं है क्या ?
क्या कहूँ , कैसे कहूँ , बस इतना बता दो ना ,
जिसके साथ जानवरों सा बर्ताव करते हो ,
क्या वो इन्सान नहीं है क्या ? - - - - ॥1॥
बातों से ज्यादा आपके हाथ चलते है ,
उधर उसका डर के मारे जान निकलती है ,
एक बार उसकी जगह खुद को बिठा के तो देखो,
जिसके साथ गैरों से पेश आते हो ,
क्या वो इन्सान नहीं है क्या ? - - - - ॥2॥
लाठी , बेल्ट , तो कभी चाबुक से मारते हो ,
हर रोज उसकी एक नई उम्मीद तोड़ते हो ,
जो बात की जाये उसे हत्यारों से क्यों करते हो ,
ऐसे जानवरों सा सुलूक क्यों तुम करते हो ? ।3।
आंसू छुपाने के लिए गॉगल वो पहनती है ,
चेहरे के घाव हटाने के लिए मेकअप वो करती है,
ये हर रोज जिस पे बीतती है ,
ना जाने उस पे क्या गुजरती है - - - -
ये सोच के ही मेरी रूह काँप जाती है । ॥4॥