महिला दिवस विशेषसृष्टिरचियेता
महिला दिवस विशेषसृष्टिरचियेता
ना समझो उपभोग की वस्तु
मैं स्वयं सृष्टि रचियेता हूँ
ना कभी हारी ना कभी हारुँगी
क्योंकि मैं एक नारी एक योद्धा हूँ
बदलूँगी इतिहास को अब मैं
ना सीता जैसी परीक्षा दूँगी
ना ही सती होंगी मैं
ना मीरा जैसा जहर पीयूँगी
कोमल हूँ पर कमजोर नहीं मैं
मैं स्वयं सृष्टि रचियेता हूँ
ना कभी हारी ना कभी हारूंगी
मैं कमजोर इतिहास को खुद ही मिटा डालूँगी
मैं अपनी विजय गाथा स्वयं ही लिख डालूँगी
मैं जन्म देने की अधिकारिणी हूँ
जीवन देकर ना मैं कभी हारी हूँ
ना समझो उपभोग की वस्तु
ना समझो अपनी कटपुतली मुझको
मैं स्वयं सृष्टि रचियेता हूँ
ना कभी हारी ना कभी हारुंगी
क्योंकि मैं एक योद्धा नारी हूँ
क्योंकि मैं अब इतिहास बदलने वाली हूँ।