महिला दिवस और नारी
महिला दिवस और नारी
शक्ति स्वरूपा,शक्तिदात्री, शक्ति
का अवतार है
नर पे भारी नारी त्याग
प्रेम की धार है
हर परिस्थिति में
ढलने से नही घबराती है
तभी तो पराया धन बन
पराए घर जाती है
परायों को पढ़ा अपनत्व का पाठ
सहर्ष सभी को अपनाती है
यही मेरा परिवार अब सगर्व
सबको बताती है
इतनी उदारता क्या ला सकता
कोई और जो नारी में
स्वाभाविक समाती है
परिवार से उठ समाज मे आई
देश फिर राष्ट्र में छा गयी
न केवल देश -विदेश
अब अंतरिक्ष। पर भी आ गई
कंधे से कंधा जब पुरुष से मिलाया
तरक्कियों का नया इतिहास बनाया है
इतनी खूबियों के रंगों में रंगकर
आज महिला दिवस मनाने का अवसर आया है
अवसर आया है