महबूब या वतन..?
महबूब या वतन..?
अगर महबूब मेरा वतन है
बन तिरंगा प्यार का,
तुझसे इस क़दर लिपट जाऊँ।
मांग लूँ कुर्बानियाँ तेरी सारी,
कर के फ़ना ख़ुद को तुझपे।
समेट ले आँचल में तेरे मुझको,
कर एक महरबानी ऐसी तूँ मुझ पर।
दूँ सबूत मेरे मोहब्बत का तुझे,
हर गोली सिने पे लूँ !
चाहे बेशक़ चले वो तुझ पर।

