महात्मा गाँधी
महात्मा गाँधी
पोरबंदर में था जन्म लिया
साबरमती था तेरा बसेरा ,
था तो तू दीवान करमचंद का सपूत,
पूतलीबाई की आँखों का तारा,
आज़ाद भारत के दिल में धड़कता
तू तो था हमारा बापू प्यारा
करती हूँ मैं तुझे कोटी - कोटी प्रणाम
तूने दिलाया हमें आत्मसम्मान
तोड़ के हमारी गुलामी की बेड़ियाँ
चला निरंतर हमारी ऊँगली थाम
सत्य और अहिंसा के पाठ पढ़ाये
सच्चाई के हरदम मार्ग दिखाएँ
जाने कितने आंदोलन ठाने
परतंत्रता का जीवन कभी न माने
भरकर हममें साहस की आग
कर डाले अंग्रेजों के सपने खाक
ले आये वो नया सवेरा
जिसकी थी हर मन में आस
कितनी निर्दयी थी वो शाम
जब क्रूर नाथू ने तुम्हें मारा था
तुमने तो जाते - जाते भी
हे राम ही पुकारा था
