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Nand Kumar

Inspirational

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Nand Kumar

Inspirational

महात्मा गांधी

महात्मा गांधी

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अक्टूबर दो अठारह सौ ,

उनहत्तर में जन्म लिया ।

करमचंद पितु मां पुतली ने , 

मोहनदास था नाम दिया ।।


पोरबंदर गुजरात धरा से , 

दिव्य अलौकिक तेज बढा ।

सत्य अहिंसा के पालक बन , 

जन जन का उद्धार किया ।।


बाल अवस्था मे ही पुतली , 

से उनका था व्याह हुआ ।

श्रवण कुमार हरिश्चंद्र जैसा ,

बनने का संकल्प किया ।।


इंग्लैण्ड से कर बैरिस्ट्री अठारह ,

सौ तिरानवे में नेटाल गए ।

भेदभाव गोरों का देखा तो ,

मन से वह अति दुखित हुए ।।


पायदान पर की यात्रा उनका , 

बाहर फेंका सामान गया ।

न्यायधीश पगङी से चिढा तो , 

दूर भरम सारा ही हुआ ।।


भेदभाव की वह चिंगारी ,

शोला बनकर भङक गयी ।

काँग्रेस से जुडकर गोरों की , 

फिर बजा ईट से ईट दयी ।।


चम्पारण खेङा सत्याग्रह ,

जनहित को प्रारम्भ किया ।

असहयोग कर नमक मार्च से , 

गोरों को झकझोर दिया ।।


अति विरोध को लखकर के , 

गोरों ने भारत बांट दिया ।

हाहाकार कलह उपजाकर , 

भारत को आजाद किया ।।


सत्य अहिंसा शांति दूत की , 

उन्नीस सौ अङतालिस में ।

तीस जनवरी को की हत्या , 

नाथूराम विरला गृह में ।।


शांति दूत देही तजकर के , 

शांत हुआ इस जीवन में ।

नाम अमर हो गया वसे वह , 

भारत के हर एक तन में ।।


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