महात्मा गांधी
महात्मा गांधी
अक्टूबर दो अठारह सौ ,
उनहत्तर में जन्म लिया ।
करमचंद पितु मां पुतली ने ,
मोहनदास था नाम दिया ।।
पोरबंदर गुजरात धरा से ,
दिव्य अलौकिक तेज बढा ।
सत्य अहिंसा के पालक बन ,
जन जन का उद्धार किया ।।
बाल अवस्था मे ही पुतली ,
से उनका था व्याह हुआ ।
श्रवण कुमार हरिश्चंद्र जैसा ,
बनने का संकल्प किया ।।
इंग्लैण्ड से कर बैरिस्ट्री अठारह ,
सौ तिरानवे में नेटाल गए ।
भेदभाव गोरों का देखा तो ,
मन से वह अति दुखित हुए ।।
पायदान पर की यात्रा उनका ,
बाहर फेंका सामान गया ।
न्यायधीश पगङी से चिढा तो ,
दूर भरम सारा ही हुआ ।।
भेदभाव की वह चिंगारी ,
शोला बनकर भङक गयी ।
काँग्रेस से जुडकर गोरों की ,
फिर बजा ईट से ईट दयी ।।
चम्पारण खेङा सत्याग्रह ,
जनहित को प्रारम्भ किया ।
असहयोग कर नमक मार्च से ,
गोरों को झकझोर दिया ।।
अति विरोध को लखकर के ,
गोरों ने भारत बांट दिया ।
हाहाकार कलह उपजाकर ,
भारत को आजाद किया ।।
सत्य अहिंसा शांति दूत की ,
उन्नीस सौ अङतालिस में ।
तीस जनवरी को की हत्या ,
नाथूराम विरला गृह में ।।
शांति दूत देही तजकर के ,
शांत हुआ इस जीवन में ।
नाम अमर हो गया वसे वह ,
भारत के हर एक तन में ।।