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Anjali Pundir

Inspirational

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Anjali Pundir

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महाराणा और भामाशाह

महाराणा और भामाशाह

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मातृ धरा की

आजादी की खातिर

वनों की खाक छानते

फिरते थे राणा प्रताप....

हुए अधीर

नहीं धन-राशि....

क्यूँ कर कटेंगी बेेेड़ियाँ

बंधन - ग्रस्त मेेवाड़ धरा की.......?

माँ के नयनों का नीर

 क्या नहीं

पोंंछ पाऊँगा मैं.......?

हुआ हताश-निराश जब

माँ भारती का यह सपूूत

ध्रुव तारे-से 

चमके थे भामाशाह तब

 अँधियारे आकाश मेें.....

 कर अर्पण

समस्त संचित धन

स्वामी के चरण-कमलों में.....

किया विनीत निवेदन था.....

इस धरा ने दिया

इसी के हित करता हूँँ अर्पण.....।

भामाशाह-सा सर्वस्व समर्पण

राणा-सा वह आत्मोत्सर्ग.....!

मन में रहता यह मलाल

कहाँ हैैं भारत माँ के ऐसे लाल.....?

हे ईश्वर ! तू गढ़ दे फिर से

भामाशाह से दानी वीर

राणा प्रताप सा नेतृत्व दे दे

धरा शिरोमणि है अधीर.........


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