मगर भेजा नहीं
मगर भेजा नहीं
बहुत सारी बातें दिल में दबी थी
कहना था सब कुछ
जो अनकही थी..
बैठ गए लिखने कुछ अल्फ़ाज़
कागज़,कलम और दिल तैयार..
लिख लिया सबकुछ दिल की गहराई थी
मेरी हर आरज़ू एक सच्चाई थी...
कभी सामने इज़हार किया नहीं..
देखो आज पत्र लिखा मगर भेजा नहीं।

