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Veena Mishra ( Ratna )

Abstract

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Veena Mishra ( Ratna )

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मेरी संस्कृति

मेरी संस्कृति

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सबसे उज्जवल इसकी कृति,

भारत मेरा सर्वणीम पाखी।

भेदभाव की जाने ना बोली,

भूले - भटके को राह दिखाती।

वीनित, आदर्श है मेरी संस्कृति,

क्षमाशील है इसकी वाणी।

लौटाए न अतृप्त किसी को ये धरती,

अपनी थाली से गरौं की भूख मिटाती।

दामन में भर दे अनंत खुशहाली,

सबसे निराले हैं हम हिंदुस्तानी ।

सदभावना, एकता और शांति के गीत गाती,

वसुधैव कुटुंबक का रीत आज भी निभाती।

इतनी पावन है मेरी माटी,

इसीलिए रोज नया इतिहास बनाती।



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