मेरी शायरी
मेरी शायरी
सामने बैठी है वो
उससे कुछ कहना है
धीरे से उसके कान में जाकर
आई लव यू बोलना है
यूँ परदा ना करो
मुझे देखकर
थोड़ी नज़रें भी मिलाया करो
मुझे देखकर
यह आशिक तो ऐसे ही घायल है
तुम्हारी चाहत में
इसे और घायल ना करो
यूँ ही पलकें झुका कर
कभी धूप तो कभी छाँव है जिंदगी
कभी जीत तो कभी हार है जिंदगी