STORYMIRROR

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Comedy

2  

Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Comedy

मेरी सब्जी सारी जल गयी

मेरी सब्जी सारी जल गयी

1 min
194


सारी रात जग -जग के,

एक कविता मैंने बनायी !

मंथन किया रूप दिया ,

सज संवर के सामने आयी !!

मन में मेरे ख्याल आया,

सबसे पहले अपनी

श्रीमती को सुनाऊ !

अपनी रचनाओं का कौशल,

उन्हें भी दिखाऊं !!

सुबह वो लगीं थीं ,

भोजन के इन्तज़ाम में !

मैं भी लगा हुआ था ,

अपनी कविता के ध्यान में !!


मैंने कहा -" देखिये अपन ,

कविता आपको मैं सुना रहा हूँ !

आप हमारी पहली श्रोता हैं ,

आपको अपनी प्रतिभा दिखा रहा हूँ "!!

उनकी स्वीकृति मुझे मिल गयी ,

उन्होंने कहा -" मुझे मधुर आवाज़

अपनी कविता सुना दें

ह्रदय मेरा जुड़ा दें !!"

मैंने भी यूँ कहा -

" तालिओं से मेरी हौसला ,

अफ़जाई करेंगे !

कविता मेरी अच्छी लगे तो ,

वाह-वाह भी करेंगे "!!

आवाध गति से हम ,

अपनी कविता पढ़ने लगे !


कवि सम्मेलन की भंगिमाओं में ,

डूबने लगे !!

मुझे अपनी कविता पाठ का ,

आनंद आ रहा था !

अपनी कवि की प्रतिभाओं को ,

छलका रहा था !!

कुछ क्षणों के बाद ,

मेरी कविता समाप्त हुयी !

उनकी मौनता को देखकर ,

मेरी उत्सुकता जगी !!

मैंने पूछा -" मेरी कविता

कैसी लगी ?"

" छोड़ीये ...अपनी इस कविता को ,

मेरी सब्जी सारी जल गयी !!"


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy