# मेरी पंक्तियां
# मेरी पंक्तियां
ढूंढते हैं लोग
मेरी कविताओं में
विरह ,
वेदना ,
दर्द ,
पीड़ा
सुनापन
और
अधुरापन ........
मगर अफसोस है मुझे
कि मेरी अधुरी जिंदगी में
मुकम्मल हो गई है
मोहब्बत अपनी
हासिल हो गया है
दोनों जहां
पूरी हो गई हसरतें
तमन्नाएं तमाम हो गई
चाहतों और ख्वाहिशों
की बात ही क्या कहूं ....
जब कोई आरज़ू ही नहीं रही
चैन का दिन और रातें सुकून की
मगर ......
ये बातें हैं राज की
जो बताना नहीं है
खुशहाली अपनी
दिखाना नहीं है
कोई पूछे जो हाल अपना
गमगीन आंखों से
जताना है कि बस ठीक हूं
दुनिया वाले ढूंढते रहें
कोई रंजोगम और दर्द
हमें तो बेदर्द ज़माने पर भी
प्यार आता है
उन्हें मेरी मुस्कुराहटों में
दर्द चाहिए
मेरे गुलशन के बहार में
पतझड़ चाहिए
मेरे राग में विराग
मेरी आसक्ति में विरक्ति
मगर ये मुमकिन कहां ....?
मैं तो वो बला हूं
जो पत्थरों पर दूब उगाती हूं
तारों को जमीं पर उतारती हूं
परात में पानी भरकर
चांद को आंगन में बुलाती हूं
सूरज रोज देता है दस्तक
खट खट खट खट ......
खोलू नहीं दरवाजा
तो खिड़की से चले आता है
हवाएं अपनी शोख अदाओं से
लुभाती हैं मुझे
कभी जुल्फें उनकी उड़ाती हैं
कभी आंचल सरकाती हैं
भौरों का गुनगुन और
तितलियों की आंख मिचौली
चिड़ियों का चहचहाना ....
ऐसे में हमारा एक-दूजे में
खो जाना ......................!!