कभी पतझड़ सा और कभी बसंती तड़ाग है। कभी पतझड़ सा और कभी बसंती तड़ाग है।
दहके प्रेम की अगन.... होके प्रेम में मगन.... प्रेम की राख हो ली मैं.... सुध बुध खो ली मैं..... दहके प्रेम की अगन.... होके प्रेम में मगन.... प्रेम की राख हो ली मैं.... ...
# मेरी पंक्तियां # मेरी पंक्तियां