मेरी पहचान !वो पिछला साल
मेरी पहचान !वो पिछला साल
शुरुआत साल की खामोशी से की थी
शोर तो पूरा साल मेरा कर गया
दौड़ अजनबियों में लगा रहा था
और लोग पहचानने लगे।।
शब्दों को तो पहले भी सजाता था
गुमनाम सी एक किताब में छुपाता था
जो देखा ज़माने ने इस जादूगरी को
मेरी कोशिश के वो भी कायल होने लगे।।
महफ़िल में जब सुनाने का मौका मिला
लोगों की वाह वाह में मैं छाने लगा
दौड़ अजनबियों में लगा रहा था
और लोग पहचानने लगे।।
वो गुमनाम सी किताबों में लिखने वाला
आज ये नाम चंद किताबों भी आ गया
लिखता था किसी कोने में अकेले बैठा
आज जैसे अपनों के बीच लिखने लगा।।
ये साल जो बीत गया मेरी पहचान बन गया
बहुत कुछ करना है अभी धीमे से कह गया
शुरुआत भले ही साल की खामोश बहुत थी
मगर शोर, मेरा पूरा ये साल कर गया।।