Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

satender tiwari

Abstract

4.5  

satender tiwari

Abstract

मेरी पहचान !वो पिछला साल

मेरी पहचान !वो पिछला साल

1 min
415



शुरुआत साल की खामोशी से की थी

शोर तो पूरा साल मेरा कर गया

दौड़ अजनबियों में लगा रहा था

और लोग पहचानने लगे।।


शब्दों को तो पहले भी सजाता था

गुमनाम सी एक किताब में छुपाता था

जो देखा ज़माने ने इस जादूगरी को 

मेरी कोशिश के वो भी कायल होने लगे।।


महफ़िल में जब सुनाने का मौका मिला

लोगों की वाह वाह में मैं छाने लगा

दौड़ अजनबियों में लगा रहा था

और लोग पहचानने लगे।।


वो गुमनाम सी किताबों में लिखने वाला

आज ये नाम चंद किताबों भी आ गया

लिखता था किसी कोने में अकेले बैठा

आज जैसे अपनों के बीच लिखने लगा।।


ये साल जो बीत गया मेरी पहचान बन गया

बहुत कुछ करना है अभी धीमे से कह गया

शुरुआत भले ही साल की खामोश बहुत थी

मगर शोर, मेरा पूरा ये साल कर गया।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract