मेरी मां
मेरी मां
दुनिया भर की मुसीबतों से लडना सिखाया है
मेरी मां ने गम में भी हमेशा मुस्कुराया है
कहीं नजर ना लग जाए ज़माने की नजर से
मेरी मां ने मेरे माथे पर काजल लगाया है
बलाएं लौट जाती हैं मुझे छूने से पहले ही
मेरी मां ने मेरे सर पर आंचल ओढ़ाया है
भूख क्या होती है कभी मैं जान ही नहीं पाया
मेरी मां ने खुद भूखा रह मुझे खाना खिलाया है
कब पलकें झपकती है मुझे मालूम नहीं पड़ता
मेरी मां ने खुद सोने से पहले मुझको सुलाया है
मैं घर को लौटता हूं जब बडा हैरान होता हूं
मेरी मां को हमेशा दरवाजे पर ही पाया है
अंधेरे से डर लगता ही नहीं कभी मुझको
मेरी मां की आंखों से उजाला ही आया है
गिनती, पहाड़े सब याद है आज भी मुझे
मेरी मां ने जो बचपन में मुझे पढाया है
मैं जब-जब भटकता हूं फिर-फिर पूंछ लेता हूं
मेरी मां ने हरदम सही रास्ता दिखाया है
मैंने किसी को पकड़ा तो फिर जाने ही नहीं दिया
मेरी मां ने हाथ थाम कर चलना सिखाया है
बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करना जानता हूं मैं
मेरी मां ने दुआओं का असर मुझको बताया है
नारी क्या है और वह क्या कर सकती है
मेरी मां की शक्ति ने मुझे अवगत कराया है
धर्म जाति के चककर में कभी उलझा ही नहीं मैं
मेरी मां ने सबसे बड़ा मज़हब मानवता बताया है...!