मेरी माँ
मेरी माँ
मेरी माँ मेरा स्वाभिमान है,
उनने दी मुझको एक नई पहचान है,
हर विषम परिस्थिति में,उन्होंने ख़ुद को संभारा
रोज़ दे एक नई सीख,मुझे भी उबारा
घर बाहर दोनों में समन्वय बनाया,
अपने काम को, पूरी ज़िम्मेदारी से निभाया
तकलीफ़ में देख किसी को,झट से हाथ बढ़ाया
जब भी तारीफ़ में लोग, उनके क़सीदे कसते
हम आज भी, गर्व महसूस है करते
प्रयास हमारा भी यही है
बन सकें उनके जैसे,
सहज,सरल रह, लोगों के दिल जीते।।