मेरी मां
मेरी मां
मां, ईश्वर का दूसरा रूप,
जो ऊपरवाला सबको नहीं देता,
पर में वोह खुशनसीब हूं जिसे मां मिली हैं,
मेरी प्यारी मां और सबसे निराली,
छोटी छोटी बातों पर रूठ जाना,
अपनी जिद को पूरा करवाना,
जैसे उसके होने से घर की रौनक बनी रहे,
उसके एक दिन ना होने से घर एक खाली मकान लगे,
जिसमे ना किसी की हसने की आवाज़,
ना किसी के टहकरे मारने वाली गूंज,
मेरी मां नटखट, बच्चों जैसी,
पर समजदार एक बुद्धिमान जैसी,
मेरी मां तुम हम सबकी आंखों का तारा हो।
जिसके बिना हर घर सुना हो।
