मेरी लालसा
मेरी लालसा
शब्दों को क्यारियों
से चुन चुन कर
कविता की
माला हम बनाएंगे
सहज रंग -बिरंगे फूलों
की खुशबू से सारा
आँगन गमकायेंगे
सुंदर सहज मनभावन
कविता लोगों को
अच्छी लगती हैं
परिष्कृत फूलों की
पंखुड़ियाँ सिर मुकुट
में शोभा देती हैं
रस शृंगार अलि के
गुंजन से मेरी कविता
सारी सज जाएगी
वीरान पड़े इस धरती
पर नई कलियाँ
रोज खिल जाएगी
जब सुंदर सहज मनोहर
कविता के उपवन
को स्वीकारेंगे
तब हम क्यों मृगतृष्णा
में इधर उधर
अपना समय गमाएंगे !!
