मेरी काया
मेरी काया
तिनका तिनका चुन कर हमने ,
था एक अपना घर बनाया,
उड़ेल दिया था सारा प्यार,
निकाल कर दिल से अपने।
सपनो की दुनियां में हम तो,
दिन में गोते लगा रहे थे,
ऐसा लगता था की अब तो ,
हमसे अच्छा कोई नही।
पर न जाने कहां से आया ,
एक हवा का झोंका,
साथ ले आया था अपने,
गमों का कुछ साया।
ऐसा छाया मेरे घर में ,
डूब गया खुशियों का माया,
रहा ना मेरा प्यारा घर ,
रह गई सिर्फ मेरी काया।