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Jyoti Sagar Sana

Abstract

4.7  

Jyoti Sagar Sana

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मेरी हिंदी

मेरी हिंदी

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जब मेरा दिल बहुत दुखी होता है,

या अंदर अंदर ही रोता है,

या जब बहुत गुस्सा आता है,

तो मैं हिंदी में ही बड़बड़ाती हूँ।

कितना ही आई लव यू बोलो,

खुद को इन शब्दों से जोड़ नही पाती हूँ,

पर प्रीत, प्यार, प्रेम सुनते ही

बस इसी में डूब जाती हूँ।

तो हुई न हिंदी माँ जैसी,

गुस्सा हो, प्यार हो,

लाड़ हो, दुलार हो,

आँचल में छुपा लेती है,

अकेला नही होने देती,

जो बच्चे उसे कभी कभी याद करते हैं,

उन्हें भी गले लगा लेती है।



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