STORYMIRROR

Jisha Rajesh

Inspirational

4  

Jisha Rajesh

Inspirational

मेरी बेटी

मेरी बेटी

1 min
366

हुआ जन्म मेरी बेटी का जिस दिन था

मेरे लिए सबसे खुशी का वो दिन था

पर सबने पूछा, 'क्यूँ हो इतने आनन्दित ?'

'जब तुम्हे होना चाहिए अत्यन्त चिन्तित।'


बेटा नहीं, बल्कि एक बेटी है वो

आशीष नहीं, एक अभिशाप है वो

पुत्र है वो नौका जो पार कराए जीवन-धारा

जो स्वयं नहीं आत्मनिर्भर, तुम्हें क्या देगी सहारा ?


माथे पर मेरे उभरी चिन्ता की रेखायें

मन में उमड़ती व्यथा ने तोड़ दी सीमायें

तभी एक आशा जगी, लिया मैंने प्रण

न व्यथित हूँगा अब मैं एक भी क्षण


दूँगा शिक्षा इसे बनाऊँगा आत्मनिर्भर

कर सके आत्मरक्षा और सदा रहे निडर

मेरी बेटी बनेगी कल मेरे बुढापे की लाठी

कम नहीं है बेटों से, बेटियों की कद-काठी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational