मेरे वो दिन
मेरे वो दिन
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ख्वाबों का एक मोहल्ला है
सब गलीयां नुक्कड़ घर द्वारे
सब आंगन, सीढ़ी, चौबारे,
कितनी यादों को समेटे हैं
वो लम्हें जो की बीत गये
वो लम्हे जो की साथ रहे
वो सारी बातें यारों की,
कुछ जितों की कुछ हारों की
वो गर्म चाय के प्याले कुछ,
वो चुरा के खाए निवाले कुछ,
बस्ते में छूपी खुशीयाँ सारी,
एक आँख जो उसने थी मारी
वो लड़की भोली-भाली सी जो हँसकर मुझसे मिलती थी,
वो लड़का कुछ शर्मीला सा जो चुप रहता
पर आँखों से सबकुछ था कहता
और ऐसी ही कितनी यादें,
सब याद रहेंगी सदियों तक
हम रोज नहीं मिल पाएंगे
पर याद हमेशा आएंगे
ख्वाबों का जो ये मोहल्ला है,
इसमे यादों की नदिया हैं,
कुछ पल साथ बिताया था
लगता फिर भी ये सदिया है।