मेरे मन ने आज
मेरे मन ने आज
मेरे मन ने आजएक ख्वाहिश की है
तुमसे दिल्लगी की खुद को इजाज़त दी है
दूर रहकर भी साथ निभाने की चाहत की है
तुम्हारी हर तमन्नाओं को पूरी करने की जिद की है।
मेरे मन ने आजएक ख्वाहिश की है
तुमसे दिल्लगी की खुद को इजाज़त दी है
दूर रहकर भी साथ निभाने की चाहत की है
तुम्हारी हर तमन्नाओं को पूरी करने की जिद की है।