मेरे मीत
मेरे मीत
तुम मेरे मीत हो,
तुम ही प्रीत हो,
तुम ही छंद भी,
तुम ही गीत हो।
मेरा कहानी का,
व जिंदगानी का,
तुम मंजिल और,
तुम ही जीत हो।
तुम्हें ही चाहना,
तुम्हें ही बुलाना,
इस जीवन का,
तुम ही संगीत हो।
तुम से तुम तक,
न मुझे तो शक,
मुझे हर जगह,
तुम ही प्रतीत हो।
मैं और बस तुम,
हो जाए हम गुम,
तुम ही तो वर्षा,
तुम ऋतु शीत हो।

