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सामंत कुमार झा 'साहित्य'

Inspirational Others

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सामंत कुमार झा 'साहित्य'

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रग-रग में हिन्दी

रग-रग में हिन्दी

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मेरे रग-रग में हिन्दी की धार है,

हिन्दी से मुझे असीम प्यार है।


हिन्दी से ही ये मेरी दुनिया और,

हिन्दी से ही तो मेरा ये संसार है।


हमारे देश को एक सूत्र में बाँधा,

ये भी तो हिन्दी का चमत्कार है।


हिन्दी मुझसे नहीं पर मैं हिन्दी से,

हिन्दी बिना मेरा जीवन बेकार है।


जहाँ भी चला जाऊँ मैं जग में,

मेरी हिन्दी मेरे संग लगातार है।



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