मेरे जीवन का हीरो
मेरे जीवन का हीरो
कोई एक नहीं है हीरो मेरा
मेरे जीवन की परिधि में
है हाथ बहुत लोगों का मुझ पर
जीवन का ज्ञान सिखाने में
माँ उंगली पकड़ के हाथ चली
तो पिता ने रस्ता समझाया।।
गुरु ने मुझको दिया ज्ञान
और उत्साह भी मेरा बढ़ाया
हर परिस्थिति में लड़ना कैसे है
ये भी मुझको सिखलाया।।
जीवन में कितने लोग मिले
हर किसी ने कुछ ना कुछ दिया मुझे
किसी ने अच्छी सीख दी तो
कुछ से मिलकर बुरे अनुभव भी मिले
अच्छे बुरे अनुभवों ने ही
अब तक जीवन का पाठ सिखलाया।।
कुछ दोस्त बने कुछ दुश्मन भी
कुछ ने दिया हौसला आसमान में उड़ना का
तो कुछ ने खींच ली ज़मी
मेरे पैरों के नीचे से
कैसे दंगा देते लोगों को
ये भी लोगों ने मुझको सिखलाया।।
इसलिए कोई एक नहीं
मेरे जीवन का हीरो है
हर किसी का मेरे जीवन में
अच्छा बुरा चाहें जैसा भी हो
हाथ रहा सिखाने में।।
कोई एक नहीं हीरो मेरा
मेरे इस जीवन की परिधि में .....!