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Madhu Gupta "अपराजिता"

Tragedy

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Madhu Gupta "अपराजिता"

Tragedy

ज़माना

ज़माना

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कभी लिखता है रंगीन कलम से तो कभी काली स्याही छिड़क देता है।

चलाता है आसमां पे तो कभी जमीं पे फेंक देता है।।


बड़ा ज़ालिम ज़माना है जहां न हो ख़ताएँ मुकर्रर।

वहाँ भी ये गुनाहों का ताज़ बड़ी सादगी से पहना देता है।।


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