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मेरा तिल

मेरा तिल

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मुझे कहाँ पता था


मेरे माथे पे उभरता काला तिल

मेरी गुणवत्ता सिद्ध करता रहा।


होठों के नीचे वाला

हुस्न की रखवाली पे खड़ा दिखा।


मुझे कहाँ पता था

न मेरी गुणवत्ता, न ही मेरे हुस्न का।


तुमसे इज़हार ए हिमाकत की

तो तुमने ही दोनों से वाकिफ़ कराया।।


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