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Krishna Bansal

Drama Classics Thriller

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Krishna Bansal

Drama Classics Thriller

मेरा शहर-नालागढ़

मेरा शहर-नालागढ़

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मेरा शहर नगीना

आए थे इक दिन 

रहे महीना, 

इस कथन को 

सार्थक करता, 

हिंडूर रियासत का 

ऐतिहासिक शहर- नालागढ़।


बिज़नेस हो या नौकरी 

जो यहां आया

यहीं का होकर रह गया।


जब हम आए थे यहां

था यह एक छोटा सा कस्बा।

यकीन मानिए, 

चन्द मकानों को छोड़

सभी मकान कच्चे।

मकानों की छतों पर 

बाग उगते थे बरसात में।


शहर इतना छोटा

पन्द्रह मिनट में 

सारे शहर का चक्कर।

मार्किट के नाम पर

एक पुराना बाज़ार

एक नया बाज़ार

उन में भी बस,

चन्द दुकानें।


पहाड़ों की तलहटी में बसा 

यह कस्बा 

आज बन गया है

देश का प्रतिष्ठित 

औद्योगिक हब।

और यहीं है एशिया की 

सबसे बड़ी ट्रक युनियन। 


था कभी टूटा फूटा 

अब आकाश छूती इमारतें,

शहर के बीचों बीच 

फेफड़ों का काम 

करता जंगल,

मीलों मील लम्बी 

वॉकिंग ट्रेलज़,

सरसा का चौड़ा पाट 


अर्धवृत्ताकार पहाड़ियां

भव्य और गरिमामयी

इतिहास की निशानी

पहाड़ की चोटी पर 

खूबसूरत राजमहल

चार चांद लगाते हैं

शहर की सुन्दरता को। 


शहर में विराजमान 

हर देवी, देवता। 

ऊँचे पर्वत पर तारा देवी

दुर्गा माता, राधा कृष्ण मन्दिर,

भोले भोलेश्वर गूगामाड़ी, ठाकुरद्वारा,

हनुमान जोहड़ी,

गुरूकुण्ड,

गुरुद्वारा, मस्जिद व जैन स्थानक

सर्व धर्म समन्वय का अनूठा उदाहरण।


शिक्षा का गढ़ है यह क्षेत्र 

छ: सात युनिवर्सिटीज़, 

बीसियों सरकारी व 

प्राइवेट स्कूलज़, 

यहाँ की एक और शान 

पी जी राजकीय कालेज

जहां से शिक्षा प्राप्त कर

प्रदेश भर में फैले हुए हैं विद्यार्थी।


चन्द वर्ष पूर्व 

यहां एक भी होटल नहीं था

अब लगी है 

कतार होटलों की।

  

कोई ज़माना था 

शहर में केवल राजा साहिब की

एक जीप और कार 

या फिर एक दो मोटर साइकिल

और हमारा इकलौता स्कूटर

अब हर घर में खड़ी हैं

दो या इससे भी अधिक कारें।


पिकनिक स्पॉट के नाम पर 

केवल गुरूकुण्ड 

जहां प्राकृतिक रुप से 

पानी बहता था

अब 'नालागढ़ हेरिटेज पार्क' व 

'वन विहार' विकसित हो गए हैं।

अवर्णनीय है इनकी सुन्दरता।


पंजाब की ज़िन्दादिली

हरियाणा का अक्खड़पन

हिमाचल की मिठास समेटे

तीन तीन संस्कृतियों का मिश्रण है 

हिमाचल का यह कमाऊ पूत।


नसीब वाले हैं,

वे लोग जो 

नालागढ़ के निवासी हैं।


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