मेरा सबसे बड़ा डर
मेरा सबसे बड़ा डर
मुझे जीवन में
सबसे अधिक डर सताता था
इस बात को लेकर कि
एक दिन कहीं
मैं अपने मां बाप से न बिछड़
जाऊं
वह मुझे छोड़कर कहीं बहुत दूर न चले
जायें और
मैं इस भरी पूरी दुनिया में
उनके बिना अकेली रह जाऊं
मरना तो सबको होता है
यह बात किसे नहीं पता
सबको पता है लेकिन
फिर भी दिल तो यही चाहता है ना
हमेशा कि
अपनों का साथ हमेशा के लिए या
फिर एक बहुत लंबे समय तक बना
रहे
दिल को हमेशा यही
लगता रहता है कि
मैं इतनी अच्छी हूं तो
मेरे साथ भगवान अच्छा ही
करेंगे
मेरे साथ कभी कोई
अनहोनी घटना नहीं घट सकती
मेरे मां बाप मेरे साथ
एक लंबे समय तक बने रहेंगे
उनका साथ बना रहेगा
उनका आशीर्वाद मेरे ऊपर
बरसता रहेगा
वह मुझे कभी अकेला छोड़कर
कहीं नहीं जायेंगे लेकिन
कितनी भी प्रार्थना
उनकी लंबी आयु के लिए
कर लो
कितना भी उनसे प्यार कर
लो
कितनी भी उनकी सेवा कर लो
एक दिन
एक पल
एक मोड़
ऐसा आ ही जाता है कि
इस जिंदगी के सफर में
मौत उन्हें कहीं दूर घसीटकर
ले जाती है और&
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उनका साथ
पलक झपकते ही
छूट जाता है
यह किसी प्यार करने वाले
हृदय पर एक वज्रपात से
कम आघात नहीं होता
एक बहुत बड़ी त्रासदी है
सदमा है
दुख है लेकिन
यह सब लगातार सीने पर झेलते हुए भी
जीना ही पड़ता है
सब कुछ एक सपने सा प्रतीत
होता है
दिल यह मानने को तैयार ही
नहीं होता कि वह
अब हमारे बीच नहीं है
काम में व्यस्त रहो तो
ठीक
जहां थोड़ा सा विश्राम
लिया
बस तभी उनकी यादें
तन बदन और मन को
हर तरफ से कचोटने
लगती हैं
कई प्रश्नों के उत्तर मिलना
देखा जाये तो
असंभव सा ही है
कोई कहां से आता है
कहां चला जाता है
फिर कभी क्यों नहीं मिलता
उस जैसा भी कोई दूसरा
उम्र भर क्यों नहीं मिलता
अपनी मौत का तो मुझे
जरा भी डर नहीं
मैं तो अपने मां बाप से
करती थी बेइंतहा प्यार
उनको खोने का डर
था मेरे लिए सबसे बड़ा
लेकिन अब तो वह ही नहीं तो
डर कैसा
वह मुझे कहीं किसी भी
जीवन के मोड़ पर
किसी भी रूप में
मिल जायें
अब तो बस यही एक
आशा है।