मेरा पहला प्यार
मेरा पहला प्यार
एक प्रीत की कहानी है
ये बात थोड़ी सी पुरानी है
मेरा पहला प्यार था
जो अब भी मेरी जुबानी है।
यूँ तो थी सरफिरी मैं कम नहीं
ज़िद उसकी भी गुमानी थी
लड़ती थी झगड़ती थी
अजीब सी हमारी दोस्ती थी।
जब मिली थी उससे
ना बात उसकी कोई भी मानी थी
धीरे धीरे जाने क्यों
अब उसकी आदत सी हो गयी थी।
आँखों से दिल पढ़ना
हाँ, माना शायरी पुरानी थी
पर सच मानो
झाँकू उसकी आँखों में तो
बस, मैं और वो।
बाकी दुनिया अनजानी थी
ना प्यार मोहब्बत की बातें थी
ना ही घंटो मुलाकातें थी,
उसकी एक नजर
और मुस्कान चेहरे पर
आ जानी थी।
हर दिन ढलता था
और ये एहसास बढ़ता जाता था
वो गुज़रता जो पास से
तो साँसों में भगदड़ मच जानी थी।
जब पहली मोहब्बत का इजहार हुआ
तो मौसम चिलचिलाती धूप का
और हलकी हवा का झोंका
सबसे सुहावना था।।

