उस चाँद से जलता हूँ
उस चाँद से जलता हूँ
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हूँ तो मैं अदना सा
ख्वाब आसमान के देखता हूँ
छोटे अपने हाथों को
ऊपर और ऊपर खींचता हूँ
हिम्मत दम तोड़ देती है
हर रोज मेरी
पर हर रात उस चाँद से जलता
और वापस वही दोहराता हूँ
आज सीढ़ी नयी लाया हूँ
शायद पहुंच जाऊँ
उस चाँद से आगे
हर बार
तरकीब नयी लगाता हूँ