लहर
लहर
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वो तूफ़ान सा उठता है
और धरा पर जा गिरता है
ख़ौफ़ उसके उफान का
आँखों में सबके झलकता है
जब लौटता है किनारों से
शांत निर्मल सा हो जाता है
मैं क्या हूँ उसके सामने
पर मैं उससे प्रेरणा पाता हूँ