मेरा पहला प्यार - मेरे पापा
मेरा पहला प्यार - मेरे पापा
बचपन में जब गिरती थी मैं,
आप संभाला करते थे।
डर लगता था कदम बढ़ाते,
आप उंगली पकड़कर चलते थे।
जीवन के भंवर में जो फंसी,
कांटों को चुनकर हटा दिया।
अपनी इच्छाओं को मारकर
फूलों से मेरा जीवन सजा दिया।
न की कभी परवाह खुद की,
दर्द को चेहरे पर आने न दिया।
रातों को जो मैं चैन से सोऊं,
अपनी नींद का भी सौदा किया।
बचपन से जो मिली सराहना,
वो पापा की ही धरोहर है।
सर्टिफिकेट पे नाम ज़रूर था मेरा,
पर पापा का यह सरोवर है।
पापा की परी लोग कहते मुझे,
पर पापा मेरे भगवान हैं।
आज उनके बलिदानों के कारण
मेरा जीवन धनवान है।
मेरी प्रेरणा मेरा जीवन
सब आप ही की तो मोहताज है।
सौभाग्य से आपकी बेटी बनी,
इस बात का मुझको नाज़ है।
आपने दिया है जो मुझे सब कुछ,
उसका कर्ज कभी ना चुका पाऊंगी।
पर वादा है आपके लिए,
हर आंधी तूफ़ान से लड़ जाऊंगी।।
