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Swaty Singh

Tragedy

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Swaty Singh

Tragedy

हिंदुस्तान की बेटी की एक दुआ

हिंदुस्तान की बेटी की एक दुआ

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बड़ी उम्मीद से आयी थी तेरे घर,

एक प्यारी नन्ही कलि बनकर|

सींचा तो था तूने भी मुझे,

अपने दिल का टुकड़ा बनाकर, प्यार से गले लगाकर|| 


फिर क्यों मैं ऐसे रौंदी गयी?

दबोची गयी, नोचि गयी, खरोंची गयी||

क्या किया था गुनाह ऐसा मैंने?

की बद से बदतर सज़ा के लिए सोची गयी|| 


दर्द से कर्राह रही थी मैं,

रोती, गिड़गिड़ाती, भीख मांगती थी| 

फिर भी न रेहम बरती ज़ालिमों ने,

क्या चीखें मेरी इतनी धुंदली थी?


तू कहती थी जो फरिश्ता मुझे,

सीने से लगाए रखती थी| 

तो क्यों नहीं ऐसा उन्होंने सोचा?

क्या फिर तू झूठ बोला करती थी??


चिड़िया कहती थी तू मुझे,

आँखों में सपना भी तूने भरा| 

पर पंखों को ही कुचल दिया बेरहमों न,

छीन लिया मेरा आसमान सारा|| 


यह हश्र ही अगर लिखा था लकीरों में 

तो जनम से पहले मौत की ख्वाहिश है| 

बस अगले जनम बेटी न बनूँ किसीकी,

यही एक फ़रियाद, यही एक फरमाइश है|| 


न पैदा होती मैं बेटी बनकर,

न लिखी गयी होती यह दास्ताँ| 

हार गयी आज तेरी निर्भया ओ माँ,

मिट गया तेरे आसिफा, प्रियंका का भी जहां|| 


अगर बेटी बनने की यहीं सज़ा है,

तो दुआ है ये जीवन किसीको न मिले| 

अगर बेख़ौफ़ रहने की यही शर्त है,

तो किसी आँगन बेटी नाम का फूल न खिले|| 


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